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बंधन ★★★((( निर्गुण भाव )))★★★ यह कलेवर ही क्लेश

बंधन ★★★((( निर्गुण भाव )))★★★

यह कलेवर ही क्लेश है क्या संग लेकर जाना है ,
सुख,दुःख,संताप,कुढ़न सब यही छोड़ जाना है ।
  धर्म,कर्म,अहिंसा के पथ पर बढ़ाता चल तू कदम ,  
  उठ ! संसार के बंधन से भवपार तुझको जाना है ।।


शब्दार्थ :- कलेवर = शरीर ,देह 
कुढ़न = सामाजिक कुरीतियां 
संताप =ईर्ष्या ,जलन 
नोट -भावार्थ कैप्शन में पढ़े #bandhan 
भावार्थ :-कवि यहाँ कहना चाहता है कि हे मानव यह शरीर नश्वर है जो मिट्टी से बना है फिर मिट्टी में मिल जायेगा ,इससे इतना प्रेम क्यों ,क्या तुम्हें ज्ञात नही जब आप धरती पर अवतरित हुए तो आप अपने संग क्या लाये थे और जब आप धरती में विलीन हों जाओगे तो संग क्या ले कर जाओगे । कवि फिर कहता है कि जो सांसारिक भौतिक मुद्राएं है सुख ,दुःख ,सन्ताप ,ईर्ष्या ,द्वेष ,कुढ़न ये सब इस शरीर के जीवन मात्र तक सीमित है ।फिर किस बात का गुमान है तुम्हे । अगर प्रेम और स्नेह करना है तो अपने धर्म अपने कर्म और सत्य-अहिंसा के मार्ग पर अपना कदम रखो अर्थात अपना चित अपना मन इन सद्कार्यों में लगाओ जो आपके संग कई युगों को जीवित रहेंगे । सब कुछ जानते हुए भी पशुओं की भांति अचेतन रूप पड़े मानव को कवि उनकी चेतना को जागृत करते हुए कहता है मानव सद्कार्यों का एकमात्र माध्यम है कि तुम सांसारिक भवबाधा से पार पा सकते हो ।
धन्यवाद 
कवि राहुल पाल 
 प्रमिला भाटी 'किरण' aman6.1 Anu Alewar  Mr. MANEESH  Di Pi Ka  #Rahul
बंधन ★★★((( निर्गुण भाव )))★★★

यह कलेवर ही क्लेश है क्या संग लेकर जाना है ,
सुख,दुःख,संताप,कुढ़न सब यही छोड़ जाना है ।
  धर्म,कर्म,अहिंसा के पथ पर बढ़ाता चल तू कदम ,  
  उठ ! संसार के बंधन से भवपार तुझको जाना है ।।


शब्दार्थ :- कलेवर = शरीर ,देह 
कुढ़न = सामाजिक कुरीतियां 
संताप =ईर्ष्या ,जलन 
नोट -भावार्थ कैप्शन में पढ़े #bandhan 
भावार्थ :-कवि यहाँ कहना चाहता है कि हे मानव यह शरीर नश्वर है जो मिट्टी से बना है फिर मिट्टी में मिल जायेगा ,इससे इतना प्रेम क्यों ,क्या तुम्हें ज्ञात नही जब आप धरती पर अवतरित हुए तो आप अपने संग क्या लाये थे और जब आप धरती में विलीन हों जाओगे तो संग क्या ले कर जाओगे । कवि फिर कहता है कि जो सांसारिक भौतिक मुद्राएं है सुख ,दुःख ,सन्ताप ,ईर्ष्या ,द्वेष ,कुढ़न ये सब इस शरीर के जीवन मात्र तक सीमित है ।फिर किस बात का गुमान है तुम्हे । अगर प्रेम और स्नेह करना है तो अपने धर्म अपने कर्म और सत्य-अहिंसा के मार्ग पर अपना कदम रखो अर्थात अपना चित अपना मन इन सद्कार्यों में लगाओ जो आपके संग कई युगों को जीवित रहेंगे । सब कुछ जानते हुए भी पशुओं की भांति अचेतन रूप पड़े मानव को कवि उनकी चेतना को जागृत करते हुए कहता है मानव सद्कार्यों का एकमात्र माध्यम है कि तुम सांसारिक भवबाधा से पार पा सकते हो ।
धन्यवाद 
कवि राहुल पाल 
 प्रमिला भाटी 'किरण' aman6.1 Anu Alewar  Mr. MANEESH  Di Pi Ka  #Rahul

@aman6.1 Anu Alewar Mr. MANEESH @Di Pi Ka #Rahul">#bandhan भावार्थ :-कवि यहाँ कहना चाहता है कि हे मानव यह शरीर नश्वर है जो मिट्टी से बना है फिर मिट्टी में मिल जायेगा ,इससे इतना प्रेम क्यों ,क्या तुम्हें ज्ञात नही जब आप धरती पर अवतरित हुए तो आप अपने संग क्या लाये थे और जब आप धरती में विलीन हों जाओगे तो संग क्या ले कर जाओगे । कवि फिर कहता है कि जो सांसारिक भौतिक मुद्राएं है सुख ,दुःख ,सन्ताप ,ईर्ष्या ,द्वेष ,कुढ़न ये सब इस शरीर के जीवन मात्र तक सीमित है ।फिर किस बात का गुमान है तुम्हे । अगर प्रेम और स्नेह करना है तो अपने धर्म अपने कर्म और सत्य-अहिंसा के मार्ग पर अपना कदम रखो अर्थात अपना चित अपना मन इन सद्कार्यों में लगाओ जो आपके संग कई युगों को जीवित रहेंगे । सब कुछ जानते हुए भी पशुओं की भांति अचेतन रूप पड़े मानव को कवि उनकी चेतना को जागृत करते हुए कहता है मानव सद्कार्यों का एकमात्र माध्यम है कि तुम सांसारिक भवबाधा से पार पा सकते हो । धन्यवाद कवि राहुल पाल प्रमिला भाटी 'किरण' aman6.1 Anu Alewar Mr. MANEESH Di Pi Ka #Rahul #शायरी