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मेरी जिंदगी पर कई महिलाओं ने अपने अमिट निशा छोड़े। उनसब ने मिलकर मुझे मेरे व्यक्तित्व को गढ़ा है,  जहाँ माँ ने मुझे जन्म दिया, तो वहीं दादी ने पाल पोसकर बड़ा किया। 4 बहनों के बीच मैं अकेला भाई  उन सभी का प्यारा था, अभी ऐसा कहते वक़्त पर्दे के पीछे से एक जोड़ी गजाला आँखे मुझे  घूर रही है, मानो सवाल कर रही हों "क्या तुम्हारे जीवन मे अब भी मेरा वजूद मौजूद है?" मैं उन आँखों से,  जो इतने बरस बाद अब भी हर वक़्त मुझे निहारती रहती हैं, से बस यह कहना चाहता हूँ, गर तुम न होती तो अर्श अर्श नहीं होता, मुझपर मेरी जिंदगी पर आज भी तुम्हारा उतना ही अख्तियार है जितना कभी बचपन मे तुम्हारी पॉकेट मनी पर मेरा हुआ करता था। तुम मेरी जिंदगी की वह super woman हो जिसके बगैर मैं निश्तेज कहीं पड़ा रहता।
मैं और वो, हम दोनों साथ साथ खेलते हुए बड़े हुऐ, वो मेरी जिंदगी की सबसे पहली दोस्त थी, हम साथ साथ स्कूल जाते और आते थें। उसने कई बार मेरे लिए दूसरे बच्चों से झगड़ा किया, बाद में चलकर स्थिति कुछ ऐसी बन आई कि मैं उसका एकमात्र दोस्त बनकर रह गया। पर फिर भी वो खुश थी। हम धीरे धीरे बड़े हो रहे थे। वो पढ़ाई में बेहद जहीन थी। 5वी तक आते आते उसके पापा ने उसका एडमिशन शहर के एक अच्छे स्कूल में करवा दिया।
अब हम साथ स्कूल नहीं जा सकते थें, मैं अब भी अपने मोहल्ले के छोटे से स्कूल में पढ़ने को मजबूर था, ऐसा नहीं था कि मैं पढ़ाई में अच्छा नहीं था या मेरा परिवार किसी घोर आर्थिक संकट से गुज़र रहा था, पर फिर भी मेरे परिवार, सगे संबंधियों के अथक अकथ परिश्रम के बावजूद भी शहर का कोई भी अच्छा स्कूल मुझे एडमिशन देने को तैयार नहीं था, वजह थी मेरा विकलांग होना। 

बचपन मे किसी दवा के रिएक्शन हों जाने की वजह से मेरी आवाज पूरी तरह से चली गई थी, अब मैं सुन तो सकता था, पर  बोल नहीं पाता था। ऐसे में कोई भी अच्छा स्कूल मुझे दाखिला क्यों और कैसे देता। इशारों में अपनी बात समझाना मेरा प्रारब्ध बन चुका था। अबतक तो घर के सभी लोग भी हिम्मत हार चुके थें, पर एक वो ही थी जिसे विश्वास था कि उसका बेस्ट फ्रेंड एक दिन ज़रूर बोलेगा।
उससे अलग दूसरे स्कूल में पढ़ने की वजह से मेरी पढ़ाई धीरे धीरे ट्रैक पर से उतरने लगी, क्योंकि अब मैं उसकी गैरमौजूदगी के कारण क्लास में अपने सवाल नहीं पूछ सकता था, मेरे इशारों को उसके अलावा और कौन समझता... क्यों समझता।
arsh1145292537229

Arsh

Bronze Star
New Creator

Part2 का लिंक नीचे दिया गया है https://nojoto.com/post/247b0d7585fedbfa651f15def74b7bbe/ 💐💐 मेरी जिंदगी पर कई महिलाओं ने अपने अमिट निशा छोड़े। उनसब ने मिलकर मुझे मेरे व्यक्तित्व को गढ़ा है, जहाँ माँ ने मुझे जन्म दिया, तो वहीं दादी ने पाल पोसकर बड़ा किया। 4 बहनों के बीच मैं अकेला भाई उन सभी का प्यारा था, अभी ऐसा कहते वक़्त पर्दे के पीछे से एक जोड़ी गजाला आँखे मुझे घूर रही है, मानो सवाल कर रही हों "क्या तुम्हारे जीवन मे अब भी मेरा वजूद मौजूद है?" मैं उन आँखों से, जो इतने बरस बाद अब भी हर वक़्त मुझे निहारती रहती हैं, से बस यह कहना चाहता हूँ, गर तुम न होती तो अर्श अर्श नहीं होता, मुझपर मेरी जिंदगी पर आज भी तुम्हारा उतना ही अख्तियार है जितना कभी बचपन मे तुम्हारी पॉकेट मनी पर मेरा हुआ करता था। तुम मेरी जिंदगी की वह super woman हो जिसके बगैर मैं निश्तेज कहीं पड़ा रहता। मैं और वो, हम दोनों साथ साथ खेलते हुए बड़े हुऐ, वो मेरी जिंदगी की सबसे पहली दोस्त थी, हम साथ साथ स्कूल जाते और आते थें। उसने कई बार मेरे लिए दूसरे बच्चों से झगड़ा किया, बाद में चलकर स्थिति कुछ ऐसी बन आई कि मैं उसका एकमात्र दोस्त बनकर रह गया। पर फिर भी वो खुश थी। हम धीरे धीरे बड़े हो रहे थे। वो पढ़ाई में बेहद जहीन थी। 5वी तक आते आते उसके पापा ने उसका एडमिशन शहर के एक अच्छे स्कूल में करवा दिया। अब हम साथ स्कूल नहीं जा सकते थें, मैं अब भी अपने मोहल्ले के छोटे से स्कूल में पढ़ने को मजबूर था, ऐसा नहीं था कि मैं पढ़ाई में अच्छा नहीं था या मेरा परिवार किसी घोर आर्थिक संकट से गुज़र रहा था, पर फिर भी मेरे परिवार, सगे संबंधियों के अथक अकथ परिश्रम के बावजूद भी शहर का कोई भी अच्छा स्कूल मुझे एडमिशन देने को तैयार नहीं था, वजह थी मेरा विकलांग होना। बचपन मे किसी दवा के रिएक्शन हों जाने की वजह से मेरी आवाज पूरी तरह से चली गई थी, अब मैं सुन तो सकता था, पर बोल नहीं पाता था। ऐसे में कोई भी अच्छा स्कूल मुझे दाखिला क्यों और कैसे देता। इशारों में अपनी बात समझाना मेरा प्रारब्ध बन चुका था। अबतक तो घर के सभी लोग भी हिम्मत हार चुके थें, पर एक वो ही थी जिसे विश्वास था कि उसका बेस्ट फ्रेंड एक दिन ज़रूर बोलेगा। उससे अलग दूसरे स्कूल में पढ़ने की वजह से मेरी पढ़ाई धीरे धीरे ट्रैक पर से उतरने लगी, क्योंकि अब मैं उसकी गैरमौजूदगी के कारण क्लास में अपने सवाल नहीं पूछ सकता था, मेरे इशारों को उसके अलावा और कौन समझता... क्यों समझता। #Life #Pain #Love #story #SAD #Friendship #आपबीती #Arsh

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