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बस यूँ ही आजादी चाहती हूँ तेरे बंधन से संग जीने

बस यूँ ही आजादी चाहती हूँ 
तेरे बंधन से 
संग जीने की चाह थी 
यहाँ तो पल पल मरना पड़ रहा है
न जाने क्या क्या सपने थे तेरे साथ मैने संजोये 
पर दिन ब दिन तू ही बदलता जा रहा है।
आखिर क्या कसूर रहा  मेरा शायद मुझे पता नही
पर दिल अंदर से कह रहा है मै शायद तेरे लायक ही नही। #😣😣🤐🤐
बस यूँ ही आजादी चाहती हूँ 
तेरे बंधन से 
संग जीने की चाह थी 
यहाँ तो पल पल मरना पड़ रहा है
न जाने क्या क्या सपने थे तेरे साथ मैने संजोये 
पर दिन ब दिन तू ही बदलता जा रहा है।
आखिर क्या कसूर रहा  मेरा शायद मुझे पता नही
पर दिल अंदर से कह रहा है मै शायद तेरे लायक ही नही। #😣😣🤐🤐
prachidixit6907

prachi dixit

New Creator

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