बस यूँ ही आजादी चाहती हूँ तेरे बंधन से संग जीने की चाह थी यहाँ तो पल पल मरना पड़ रहा है न जाने क्या क्या सपने थे तेरे साथ मैने संजोये पर दिन ब दिन तू ही बदलता जा रहा है। आखिर क्या कसूर रहा मेरा शायद मुझे पता नही पर दिल अंदर से कह रहा है मै शायद तेरे लायक ही नही। #😣😣🤐🤐