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बात तो थी उड़ने की, जब हम चले थे घर से, आकर यहा

बात तो थी उड़ने की,  
जब हम चले थे घर से, 
 आकर यहाँ रेंगने लगे,
 ये  उम्मीद ना थी शहर से मेरा शहर... !
बात तो थी उड़ने की,  
जब हम चले थे घर से, 
 आकर यहाँ रेंगने लगे,
 ये  उम्मीद ना थी शहर से मेरा शहर... !

मेरा शहर... ! #शायरी