कुछ नाराज़गी आज खुद से भी जाहिर करते है, अच्छे तो इतने हम भी नहीं.. कमियाँ तो गिनी है हजार दूसरों मे, पर यकीं मानो बुरे तो कम हम भी नहीं.. कुछ वक़्त ने सिखाया कुछ गलतियों ने, सीख तो रहे है पर खुद पर नाज़ अभी भी नहीं.. रेत की तरह फिसलते है हाथ अपनों के, पर खुद पे भरोसा दफ़न है मरा अभी भी नहीं.. कुछ तो कमी थी हमारी तासीर-ए-यकीं में, वरना दूसरों को तो छोड़िये जनाब यहां खुद से नाराज़गी कम भी नहीं... ~•shubhi•~© #narajgi थोड़ी नाराज़गी आज खुद से भी जाहिर करते है...... #poetry #poem #nojoto #nojotoapp #broken 'निर्मेय' Dilwala®