इत्तु सा पैग़ाम दोस्ती निभाने के नाम।
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हमारी दोस्ती हुई थी कुछ 5 साल पहले, उस से पहले हम अंजान थे एक दूसरे से।
दोस्ती हुए यूँही मस्ती मज़ाक में,मिलने को तरसते थे एक दूसरे से।
Clg जाने की लिए जब मैं घर से निकलता था, वो मुझे 100 झूठ बोलता था,(ये की अब चल रहा हूँ घर से,चल लिया,चोकर पर आ लिया,देख तेरे पीछू खड़ा।
असल में होता क्या था..जब मैं घर पहुँच जाता था उसके, वो मुझे सोता मिलता था और मैं उसे सोते-सोते नहला दिया करता था ।
ना जाने कैसी हमारी दोस्ती हैं, दोस्ती की है निभानी तो होगी।