प्रेम वह शब्द है जिसकी व्याख्या शायद असंभव है, पर इसमे जीवन छुपा है। जीने की चाह छुपी है, कभी डर तो कभी निडरता छुपी है, कभी बहुत प्रेम तो कभी घृणा छुपी है और प्रेम को समझते समझते जिंदगी को समझने की अपने आप को समझने की कला छुपी है। प्रेम वह सत्य है जो सब कुछ असत्य होने का परिचय देता है। प्रेम वह है जो अपनी खूबियों पर चहकने का मौका देता है और अपनी कमियों पे रुस्वा भी करवाता है। प्रेम वह सत्य है जो कंही न कंही ईश्वर से हमारा परिचय करवाता है इसलिए प्रेम बिना जीना बेकार है।❤️