राम, तुम्हें यह देश न भूले, धाम-धरा-धन जाय भले ही, यह अपना उद्देश्य न भूले। निज भाषा, निज भाव न भूले, निज भूषा, निज वेश न भूले। प्रभो, तुम्हें भी सिन्धु पार से सीता का सन्देश न भूले। ©pragati tiwari #Dussehra2020