मुसाफ़िर हूँ यारों भागती दोड़ती जि़न्दगी का न घर है न ठिकाना न मंजिल का आना बस चलते हैं जाना बस चलते हैं जाना -:जिंदगी -:अनजान_आनन्द #अधूरी_जि़न्दगी #मुसाफिर