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अपनों से वफ़ा की उम्मीद कर बैठा ! मेरी मासूमियत का,

अपनों से वफ़ा की उम्मीद कर बैठा ! मेरी मासूमियत का, सब ने लुत्फ़ उठाया,
लेकिन मेरी शराफत,
किसी को नज़र नहीं आती...
नज़रंदाज कर देता हूँ सभी को,
शायद ये ग़लती थी मेरी, मैं जो...
अपनों से वफ़ा की उम्मीद कर बैठा......

जब भी आईने में देखता हूँ खुद को,
नफ़रत सी होती है ख़ुद से मुझे।
भूल कर भी भूल कर देता हूँ,
पारखी नज़र जो ना थी मेरी...
पामाल भी हुआ उन्हीं की ख़ातिर, क्यों मैं....
अपनों से वफ़ा की उम्मीद कर बैठा.....
✍️धर्मेन्द्र सिंह (धर्मा)

पामाल=नष्ट हुआ Rooh_Lost_Soul
अपनों से वफ़ा की उम्मीद कर बैठा ! मेरी मासूमियत का, सब ने लुत्फ़ उठाया,
लेकिन मेरी शराफत,
किसी को नज़र नहीं आती...
नज़रंदाज कर देता हूँ सभी को,
शायद ये ग़लती थी मेरी, मैं जो...
अपनों से वफ़ा की उम्मीद कर बैठा......

जब भी आईने में देखता हूँ खुद को,
नफ़रत सी होती है ख़ुद से मुझे।
भूल कर भी भूल कर देता हूँ,
पारखी नज़र जो ना थी मेरी...
पामाल भी हुआ उन्हीं की ख़ातिर, क्यों मैं....
अपनों से वफ़ा की उम्मीद कर बैठा.....
✍️धर्मेन्द्र सिंह (धर्मा)

पामाल=नष्ट हुआ Rooh_Lost_Soul

Rooh_Lost_Soul