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सुबह की धूप के जैसी सुनहरी शाम सी लड़की बड़ी ही ख़ास

सुबह की धूप के जैसी सुनहरी शाम सी लड़की
बड़ी ही ख़ास लगती है सुनो वो आम सी लड़की

वो हँसती है तो उसके संग मौसम खिलखिलाते हैं
जो ज़ुल्फें उसकी खुल जाएं तो घिर के अब्र आते हैं
है ज़हन-ओ-दिल पे तारी वो ख़ुमार-ए-जाम सी लड़की
बड़ी ही ख़ास लगती है सुनो वो आम सी लड़की

वो तन्हाई में ख़ुद से ख़ुद ही ऐसे बात करती है
जैसे सरगोशियाँ तितली गुलों के साथ करती है
कली सी शोख़ चंचल सी वफ़ा के नाम सी लड़की
बड़ी ही ख़ास लगती है सुनो वो आम सी लड़की

उसी पर रश्क करते हैं क़मर भी और सितारे भी
कि उसके हुस्न के आगे हैं फीके सब नज़ारे भी
परी सी या फ़रिश्ते सी वो एक गुमनाम सी लड़की
बड़ी ही ख़ास लगती है सुनो वो आम सी लड़की

सुबह की धूप के जैसी सुनहरी शाम सी लड़की... वो आम सी लड़की

#thesecondthought
सुबह की धूप के जैसी सुनहरी शाम सी लड़की
बड़ी ही ख़ास लगती है सुनो वो आम सी लड़की

वो हँसती है तो उसके संग मौसम खिलखिलाते हैं
जो ज़ुल्फें उसकी खुल जाएं तो घिर के अब्र आते हैं
है ज़हन-ओ-दिल पे तारी वो ख़ुमार-ए-जाम सी लड़की
बड़ी ही ख़ास लगती है सुनो वो आम सी लड़की

वो तन्हाई में ख़ुद से ख़ुद ही ऐसे बात करती है
जैसे सरगोशियाँ तितली गुलों के साथ करती है
कली सी शोख़ चंचल सी वफ़ा के नाम सी लड़की
बड़ी ही ख़ास लगती है सुनो वो आम सी लड़की

उसी पर रश्क करते हैं क़मर भी और सितारे भी
कि उसके हुस्न के आगे हैं फीके सब नज़ारे भी
परी सी या फ़रिश्ते सी वो एक गुमनाम सी लड़की
बड़ी ही ख़ास लगती है सुनो वो आम सी लड़की

सुबह की धूप के जैसी सुनहरी शाम सी लड़की... वो आम सी लड़की

#thesecondthought

वो आम सी लड़की #thesecondthought