सुबह की धूप के जैसी सुनहरी शाम सी लड़की बड़ी ही ख़ास लगती है सुनो वो आम सी लड़की वो हँसती है तो उसके संग मौसम खिलखिलाते हैं जो ज़ुल्फें उसकी खुल जाएं तो घिर के अब्र आते हैं है ज़हन-ओ-दिल पे तारी वो ख़ुमार-ए-जाम सी लड़की बड़ी ही ख़ास लगती है सुनो वो आम सी लड़की वो तन्हाई में ख़ुद से ख़ुद ही ऐसे बात करती है जैसे सरगोशियाँ तितली गुलों के साथ करती है कली सी शोख़ चंचल सी वफ़ा के नाम सी लड़की बड़ी ही ख़ास लगती है सुनो वो आम सी लड़की उसी पर रश्क करते हैं क़मर भी और सितारे भी कि उसके हुस्न के आगे हैं फीके सब नज़ारे भी परी सी या फ़रिश्ते सी वो एक गुमनाम सी लड़की बड़ी ही ख़ास लगती है सुनो वो आम सी लड़की सुबह की धूप के जैसी सुनहरी शाम सी लड़की... वो आम सी लड़की #thesecondthought