मैं पृथ्वी पर विचरण करने वाला , तो तुम मस्त -मौला विहंग हो। मुझको साहित्य से प्रेम ,तो तुम इससे दंग हो । मैं मजबूत धागा सा, तो तुम उससे उड़ती हुई पतंग हो । मैं स्थिर, शांत , समुदर सा , तो तुम उसमे उठने वाली तरंग हो । मैं रंगहीन सा ,तो तुम नवरंग हो । रणक्षेत्र हूँ मैं ,तो तुम जंग हो । मैं आदि हूँ, तो तुम अन्त हो । मस्त हूँ मैं ,तो तुम मलंग हो । #nojoto#shayri#