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बड़े मोम हुआ करते थे कभी हम भी... एक ठोकर क्या लगी

बड़े मोम हुआ करते थे कभी हम भी...
एक ठोकर क्या लगी दिल पत्थर हो गया...
सह ना सका मासूम दिल हमारा इस दर्द को,
सपने सारे एक पल में ही चकनाचूर हो गया।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

सजाएँ थे कभी हम भी ख्वाहिशों का आलम,
पर ख़्वाब सारे बहता हुआ समुन्दर हो गया।
उम्मीद भी टूट गई, हथेलियाँ भी रिक्त अपना,
तबाही का साहिब ऐसा अपना मंज़र हो गया।।
😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭

रो ना सकी आँखें मेरी, एक टक ताकती निगाहे,
था उन दिनों कुछ अपना, ऐसा सफ़र हो गया।
नेह का नेह छूटा, तो धैर्य भी था उसका टूटा,
नही ख़बर किसी को इसकी, ऐसा बवंडर हो गया।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

ये होती है कहानियाँ, जहां टुट कर सम्हलते है,
पर हकीकत की जमीं पर, इससे अन्तर हो गया।
हो चाहे जैसा समय, पर कोई फ़र्क नही मुझ पर,
माटी का अब पुतला नही मैं, ये तो प्रस्तर हो गया।
😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭

ख्वाबों का कारवां बुनके चली थी मैं भी एक दिन,
पर सब टूटकर, ख्वाबों से मेरा अलगाव हो गया।
यूँ ही नही कहते है सब लोग मुझसे, तू बदल गई,
पर क्या करे, सितम का मुझ पर असर हो गया।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 बड़े मोम हुआ करते थे कभी हम भी...
एक ठोकर क्या लगी दिल पत्थर हो गया...

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
10 जून 2020 

10 जून 2020 को अपना अकाउंट बनाया....और उसी क्षण मैंने ये पंक्तियाँ पोस्ट की.... बहुत मुश्किल दौर था मेरे लिए वो....लेकिन योर क्योट के साथ ने मरहम का काम किया..... उम्र के ऐसे पड़ाव से गुजर ही रही हूँ की....मैं लगातार लेखन तो नही कर पाती...पर जब भी समय मिलता है....तो थोड़ा बहुत लिख देती हूँ.....और साथ ही साथ कुछ लेखकों की रचनाओं को पढ़ती भी हूँ....
बड़े मोम हुआ करते थे कभी हम भी...
एक ठोकर क्या लगी दिल पत्थर हो गया...
सह ना सका मासूम दिल हमारा इस दर्द को,
सपने सारे एक पल में ही चकनाचूर हो गया।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

सजाएँ थे कभी हम भी ख्वाहिशों का आलम,
पर ख़्वाब सारे बहता हुआ समुन्दर हो गया।
उम्मीद भी टूट गई, हथेलियाँ भी रिक्त अपना,
तबाही का साहिब ऐसा अपना मंज़र हो गया।।
😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭

रो ना सकी आँखें मेरी, एक टक ताकती निगाहे,
था उन दिनों कुछ अपना, ऐसा सफ़र हो गया।
नेह का नेह छूटा, तो धैर्य भी था उसका टूटा,
नही ख़बर किसी को इसकी, ऐसा बवंडर हो गया।
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ये होती है कहानियाँ, जहां टुट कर सम्हलते है,
पर हकीकत की जमीं पर, इससे अन्तर हो गया।
हो चाहे जैसा समय, पर कोई फ़र्क नही मुझ पर,
माटी का अब पुतला नही मैं, ये तो प्रस्तर हो गया।
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ख्वाबों का कारवां बुनके चली थी मैं भी एक दिन,
पर सब टूटकर, ख्वाबों से मेरा अलगाव हो गया।
यूँ ही नही कहते है सब लोग मुझसे, तू बदल गई,
पर क्या करे, सितम का मुझ पर असर हो गया।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 बड़े मोम हुआ करते थे कभी हम भी...
एक ठोकर क्या लगी दिल पत्थर हो गया...

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10 जून 2020 

10 जून 2020 को अपना अकाउंट बनाया....और उसी क्षण मैंने ये पंक्तियाँ पोस्ट की.... बहुत मुश्किल दौर था मेरे लिए वो....लेकिन योर क्योट के साथ ने मरहम का काम किया..... उम्र के ऐसे पड़ाव से गुजर ही रही हूँ की....मैं लगातार लेखन तो नही कर पाती...पर जब भी समय मिलता है....तो थोड़ा बहुत लिख देती हूँ.....और साथ ही साथ कुछ लेखकों की रचनाओं को पढ़ती भी हूँ....