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#WorldTheatreDay सब लोग दिखावा करते हैं अप

#WorldTheatreDay  सब  लोग   दिखावा   करते  हैं 
अपने आप को शरीफ होने का 
हमारी  खामोशी  को  लोग 
हमारी बेवकूफी समझते हैं 
हम  बोलते  कम  हैं 
पर ना समझ नहीं है

खुदा सब को नाचता है अपनी उंगली पर
हम सब कठपुतली हैं  उसके  इसारों  का

कुछ लोग खुद को खुदा समझते हैं
इस रूहे जमीन का, 
हम सब मिट्टी के पुतले हैं
कुछ भी हस्ती नहीं हमारी

एक  वायरस  ने  समझा  दिया 
क्या औकात है हमारी इस जमीन पर
जो परिंदों को करते थे कैद 
आज खुद कैदी बन बैठें हैं #World_Theatre_Day
#WorldTheatreDay  सब  लोग   दिखावा   करते  हैं 
अपने आप को शरीफ होने का 
हमारी  खामोशी  को  लोग 
हमारी बेवकूफी समझते हैं 
हम  बोलते  कम  हैं 
पर ना समझ नहीं है

खुदा सब को नाचता है अपनी उंगली पर
हम सब कठपुतली हैं  उसके  इसारों  का

कुछ लोग खुद को खुदा समझते हैं
इस रूहे जमीन का, 
हम सब मिट्टी के पुतले हैं
कुछ भी हस्ती नहीं हमारी

एक  वायरस  ने  समझा  दिया 
क्या औकात है हमारी इस जमीन पर
जो परिंदों को करते थे कैद 
आज खुद कैदी बन बैठें हैं #World_Theatre_Day