जिसमें गिरने पर उठकर,कपड़ों को झाड़ मुस्कुराने का रिवाज था...वो सफर बस Cycle से ही हुआ करता था...! हां बेशक रफ्तार बढ़ गई है रास्तों की...पर,,, जिस सफर में सेहत,खुशियां और प्यार साथ_साथ मंजिल तक जाती थी ...वो सफर बस Cycle से ही हुआ करता था! #Sakshi Thakur #WorldBicycleDay