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जिसमें गिरने पर उठकर,कपड़ों को झाड़ मुस्कुराने का र

जिसमें गिरने पर उठकर,कपड़ों को झाड़ मुस्कुराने
 का रिवाज था...वो सफर बस Cycle से ही 
हुआ करता था...!
हां बेशक रफ्तार बढ़ गई है रास्तों की...पर,,,
जिस सफर में सेहत,खुशियां और प्यार साथ_साथ
मंजिल तक जाती थी ...वो सफर बस Cycle से ही 
हुआ करता था!

#Sakshi Thakur #WorldBicycleDay  

Rajveer Singh Rathore  Baibhav Kumar Sandeep rohilla
जिसमें गिरने पर उठकर,कपड़ों को झाड़ मुस्कुराने
 का रिवाज था...वो सफर बस Cycle से ही 
हुआ करता था...!
हां बेशक रफ्तार बढ़ गई है रास्तों की...पर,,,
जिस सफर में सेहत,खुशियां और प्यार साथ_साथ
मंजिल तक जाती थी ...वो सफर बस Cycle से ही 
हुआ करता था!

#Sakshi Thakur #WorldBicycleDay  

Rajveer Singh Rathore  Baibhav Kumar Sandeep rohilla