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कुछ सफर अधूरी बातें लिए छूट जाते है, कुछ मुसाफिर च

कुछ सफर अधूरी बातें लिए छूट जाते है,
कुछ मुसाफिर चंद लम्हें बीता कर रूठ जाते है,
मगर राहें रुकती नहीं हमें चलना पड़ता है,
रोज सुबह की तरह निकल शामों की तरह ढलना पड़ता है,
हकीकत का आइना हमेशा ख्वाबों से दूर होता है,
मगर ख्वाबों का हिस्सा उनमें जरूर होता है,
सितारों की बातों में कायनात का रुख कर बैठते है,
हर किसी के यादों में कोई शख्स खुद में मगरुर होता है।

©Abhiraj kumar
  #magroor