गुलामी मंजूर नहीं था, स्वतंत्रता की दिवानी थी ।
खूब लड़ी सिंहनी वो झाँसी की महारानी थी ।।
आखिरी वक्त तक लड़ी वो,
उन्हें मातृभूमि की ऋण चुकानी थी ।
तन, मन और धन अर्पित करके
अपनी बलिदानों से लिखी नयी कहानी थी ।
खूब लड़ी सिंहनी वो झाँसी की महारानी थी ।। #poem#satyam#2liner#kalakash#TST#lakshibae#jhasikirani