Nojoto: Largest Storytelling Platform

झाँसी की रानी गुलामी मंजूर नहीं था, स्वतंत्रता की

झाँसी की रानी  गुलामी मंजूर नहीं था, स्वतंत्रता की दिवानी थी ।
खूब लड़ी सिंहनी वो झाँसी की महारानी थी ।।

आखिरी वक्त तक लड़ी वो, 
उन्हें मातृभूमि की ऋण चुकानी थी ।
तन, मन और धन अर्पित करके
अपनी बलिदानों से लिखी नयी कहानी थी ।
खूब लड़ी सिंहनी वो झाँसी की महारानी थी ।।







 #NojotoQuote गुलामी मंजूर नहीं था, स्वतंत्रता की दिवानी थी ।
खूब लड़ी सिंहनी वो झाँसी की महारानी थी ।।

आखिरी वक्त तक लड़ी वो, 
उन्हें मातृभूमि की ऋण चुकानी थी ।
तन, मन और धन अर्पित करके
अपनी बलिदानों से लिखी नयी कहानी थी ।
खूब लड़ी सिंहनी वो झाँसी की महारानी थी ।।
झाँसी की रानी  गुलामी मंजूर नहीं था, स्वतंत्रता की दिवानी थी ।
खूब लड़ी सिंहनी वो झाँसी की महारानी थी ।।

आखिरी वक्त तक लड़ी वो, 
उन्हें मातृभूमि की ऋण चुकानी थी ।
तन, मन और धन अर्पित करके
अपनी बलिदानों से लिखी नयी कहानी थी ।
खूब लड़ी सिंहनी वो झाँसी की महारानी थी ।।







 #NojotoQuote गुलामी मंजूर नहीं था, स्वतंत्रता की दिवानी थी ।
खूब लड़ी सिंहनी वो झाँसी की महारानी थी ।।

आखिरी वक्त तक लड़ी वो, 
उन्हें मातृभूमि की ऋण चुकानी थी ।
तन, मन और धन अर्पित करके
अपनी बलिदानों से लिखी नयी कहानी थी ।
खूब लड़ी सिंहनी वो झाँसी की महारानी थी ।।

गुलामी मंजूर नहीं था, स्वतंत्रता की दिवानी थी । खूब लड़ी सिंहनी वो झाँसी की महारानी थी ।। आखिरी वक्त तक लड़ी वो, उन्हें मातृभूमि की ऋण चुकानी थी । तन, मन और धन अर्पित करके अपनी बलिदानों से लिखी नयी कहानी थी । खूब लड़ी सिंहनी वो झाँसी की महारानी थी ।। #poem #satyam #2liner #kalakash #TST #lakshibae #jhasikirani