मैं एक इंसान हूं पर , आज वतन के काम आया हूं । रोना भी आता है कभी-कभी , जैसे रोशन में भी अंधेरा हूं । कम्बख़त बात सरहद की करता हूं , फिर डर जाता हूं । बात आती है एक फ़ौज की, वो भी एक इंसान हैं । फ़ौजी है , सरहद का परिंदा है । सरहद पे कुर्बान है , वतन में गूंजता उसका नाम है । फ़ौजी है साहब , जान देकर खुद को बताता अमर जवान है। #NojotoQuote खैर छोड़ो , मैं एक इंसान हूं पर , आज वतन के काम आया हूं , रोना भी आता है कभी-कभी , जैसे रोशन में भी अंधेरा हूं , कम्बख़त बात सरहद की करता हूं , फिर डर जाता हूं । बात आती है एक फ़ौज की,