यह कैसा भूत सवार है कि मैं मर्द हूं, मुझे इस बात पर ही गुमान है, तू औरत है तू औरत है जा बैठ घर के किसी कोने में, देख लो इतने ऊंचे मेरे विचार हैं ||1|| मैं मर्द हूं ना, मैं मर्द हूं ना, मर जाऊंगा पर अपनी आंखों में आंसू ना आने दूंगा, कई बार अबला को रुला, अपनी मर्दानगी का सबूत दूंगा ||2|| मैं मर्द हूं ना, मैं लड़ जाऊंगा अपने हर एक हक के लिए, लेकिन सड़क पर लड़ती हुई महिला को देख उसके हक के लिए, इनकी फितरत ही है लड़ना, यह भी तो मैं ही कहूंगा ||3|| मैं मर्द हूं ना, मैं मर्द हूं ना, मुझे कोई एक लफ्ज़ नहीं कहेगा, मेरी मर्दानगी का सबूत तुम यही पालोगे, एक महिला की लुटती इज्जत को देख हम महिला की उस बेबसी का कलंक सियासत या उस महिला पर ही लगा देंगे ||4|| मैं मर्द हूं ना, मैं मर्द हूं ना, अपनी इन्हीं हरकतों से ही तो मर्द बन पाऊंगा सुन या देख देख यह सब मैं नपुंसक बन जाऊंगा क्या फर्क पड़ता है, मैं मर्द हूं ना मैं फिर भी मर्द कह लाऊंगा ||5|| मैं मर्द हूं ना #Poem #Shatari #Today #new #Story #Good kavya Kumari KingHarsh 🤴👑 BELINDA INDA 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain) Khan Perfect