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अभी तो लक्ष्य साधा था उसने बुलंदियों को छूना अभी ब

अभी तो लक्ष्य साधा था उसने
बुलंदियों को छूना अभी बाकी था,
अभी तो पंख फैलाए ही थे
उड़ान भरना अभी बाकी था,

सपने संजोए थे आसमान को छूने के
बहती हवा संग बातें करने के,
अचानक से सब बिखर गया
उखाड़ गए जब पंख वो दरिंदे उसके ,

वो चीखती रही, चिल्लाती रही
किंतु जिस्म वो उसका नोचते रहे,
छीन ली गई मासूमियत उसकी 
इंसानियत भी शर्मसार होती रही,

कितना बेबस महसूस किया होगा उसने
ख़ुद को ही कई बार कोसा होगा उसने,
छिन गई आबरू,बिखर गए वो सपने उसके
फैलाए ही थे जो पंख अभी
वो पंख ही काट गए कुछ अपने उसके।।

©Tamanna Thakur .
.
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#poetcommunity #poem #Hindi #Poetry #writer
अभी तो लक्ष्य साधा था उसने
बुलंदियों को छूना अभी बाकी था,
अभी तो पंख फैलाए ही थे
उड़ान भरना अभी बाकी था,

सपने संजोए थे आसमान को छूने के
बहती हवा संग बातें करने के,
अचानक से सब बिखर गया
उखाड़ गए जब पंख वो दरिंदे उसके ,

वो चीखती रही, चिल्लाती रही
किंतु जिस्म वो उसका नोचते रहे,
छीन ली गई मासूमियत उसकी 
इंसानियत भी शर्मसार होती रही,

कितना बेबस महसूस किया होगा उसने
ख़ुद को ही कई बार कोसा होगा उसने,
छिन गई आबरू,बिखर गए वो सपने उसके
फैलाए ही थे जो पंख अभी
वो पंख ही काट गए कुछ अपने उसके।।

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