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अखबार से मेरा पुराना नाता है,मानो सिर्फ़ गम की सौगा

अखबार से मेरा पुराना नाता है,मानो सिर्फ़ गम की सौगात ले कर आता है दिन बदलते है अखबार के पन्ने भी बदल जातें हैं, पर खबरें ? खबरें वही पुरानी रहतीं हैं। 

कभी लडकियो का दर्द छुपा होता है तो कभी, लूट ,पाट,चोरी की घटनाए, कभी नेताओं के द्वारा किये गये घोटाले होते तो तो कभी प्राकृतिक आपदाओ से जूझते हुवे शहर,  एक पन्न्ना खेल का भी होता है कभी जीत होती है कभी हार खैर ये तो जिन्दगी का हिस्सा है, एक पन्ना है मेरा पसंदीदा वो है फिल्म का उसे पढ़ कर दिल खुश हो जाता हालाकि उसका निजी जीवन से कोई नाता नही फिर भी।

ऐसे ही किसी अखबार ने मेरी जिन्दगी बदल दी अखबार के दूसरे पन्ने पर एक बडी खबर थी, एक व्यापारी अपने भाई और साले के साथ इलाहाबाद से भरवारी अपने घर जा रहा था और रोड पर एक गढ़ढा मिला जिसमे ट्रक का बैलेंस खराब हो गया, ट्रक ड्राईवर कूद कर भाग गया और उस व्यापारी और उसके साले की दर के दर मौत हो गई ।

वो व्यापारी कोई और नही मेरे पापा थे और उनका साला मेरे मामा उस समय मै महज एक साल की थी जब अखबार तो छोडो अपने पापा की छवि याद रखने के काबिल भी नही थी। आज भी अखबार का वो पन्ना अल्मारी के  किसी कोने मे रो रहा है और मेरी माँ की सूनी माँग अखबार के इस खबर को आज जिन्दा रखती है ।                          
                                                                                   by shiwangi #newspaper 
#अखबार  



Dashing___Danish Seema Das Ansari Abdul Haq Aloneboy™️
अखबार से मेरा पुराना नाता है,मानो सिर्फ़ गम की सौगात ले कर आता है दिन बदलते है अखबार के पन्ने भी बदल जातें हैं, पर खबरें ? खबरें वही पुरानी रहतीं हैं। 

कभी लडकियो का दर्द छुपा होता है तो कभी, लूट ,पाट,चोरी की घटनाए, कभी नेताओं के द्वारा किये गये घोटाले होते तो तो कभी प्राकृतिक आपदाओ से जूझते हुवे शहर,  एक पन्न्ना खेल का भी होता है कभी जीत होती है कभी हार खैर ये तो जिन्दगी का हिस्सा है, एक पन्ना है मेरा पसंदीदा वो है फिल्म का उसे पढ़ कर दिल खुश हो जाता हालाकि उसका निजी जीवन से कोई नाता नही फिर भी।

ऐसे ही किसी अखबार ने मेरी जिन्दगी बदल दी अखबार के दूसरे पन्ने पर एक बडी खबर थी, एक व्यापारी अपने भाई और साले के साथ इलाहाबाद से भरवारी अपने घर जा रहा था और रोड पर एक गढ़ढा मिला जिसमे ट्रक का बैलेंस खराब हो गया, ट्रक ड्राईवर कूद कर भाग गया और उस व्यापारी और उसके साले की दर के दर मौत हो गई ।

वो व्यापारी कोई और नही मेरे पापा थे और उनका साला मेरे मामा उस समय मै महज एक साल की थी जब अखबार तो छोडो अपने पापा की छवि याद रखने के काबिल भी नही थी। आज भी अखबार का वो पन्ना अल्मारी के  किसी कोने मे रो रहा है और मेरी माँ की सूनी माँग अखबार के इस खबर को आज जिन्दा रखती है ।                          
                                                                                   by shiwangi #newspaper 
#अखबार  



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