ज़िन्दगी का सफर वो दरख़्तों की छाओं से गुज़रता मुसाफ़िर था , उसे कैसे पता होगा मंज़िल का सफ़र , पीछे छूटते क़दमों के निशान कह रहे थे, मेरे हिस्से की मिट्टी यूँ बर्बाद ना कर , ©writerRai #life #traveller #reality #wod #hindiqoutes