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बारिशों का क्या हैं, आजकल तो आँखों से बरसती हैं त

बारिशों का क्या हैं, आजकल तो आँखों
 से बरसती हैं
तन्हाई में महफ़िल आखिर कहाँ सजा करती हैं
शंमायें भुझती हैं, और परवाने पिघलते हैं….
लोग तो रौशनी के लिए अपना दिल जलाये जाते हैं
बारिशों का क्या हैं, आजकल तो आँखों
 से बरसती हैं
तन्हाई में महफ़िल आखिर कहाँ सजा करती हैं
शंमायें भुझती हैं, और परवाने पिघलते हैं….
लोग तो रौशनी के लिए अपना दिल जलाये जाते हैं