पानी पिलाना पुनय का काम होता है। कभी कोई हमसे पानी मांगले तो हम मना खुद ना कर पाते है।। पानी ने कब जात विभाजन किया आज मालूम हुआ।। बस उसे पानी की प्यास थी ।। मटकी उसके पास थी । सोचा था बुझा लूं अपनी प्यास ।। टीचर की सोच घटिया उसके साथ थी ।। प्यास बुझाई उसने इतनी बड़ी सजा पाई एक मां अपने बेटे से मटके की वजह से मिल न पाई।। अंतिम यात्रा में शव के साथ ली विदाई।। जात उसका भार थी।। भार वो चुका गया।। दलित था दलित कह कर मार दिया।। ज्ञान जब शिक्षक को कम था । छात्र ने सजा की पाई है ।। अब क्यों सबने फांसी की फिरसे आस लगाई है ।। यह समाज की सोच ही सबको ढुबाएगी जब सबके घर में यह कांड होगा तब उंगली उठाई जाएगी आज भी भारत पिछड़ा है कल भी पिछड़ा हो जाएगा जब तक फांसी ना दोगे यह जुल्म बढ़ता जाएगा।। रेस्ट इन पीस का एक नया वर्ड आया है किसी ने फेसबुक पर तो किसी ने व्हाट्सएप पर लगाया है कैंडल मार्च करके कोई रोड पर आया है अलग-अलग तरह से लोगों ने अपना फर्ज निभाया है जब गुहार मांगने पर जब मदद ना मिली अब यह नाटक क्यों रचाया है।। हर जुल्म का इंसाफ मिलता था जिसको में मैंने वी वांट जस्टिस का नाम क्या लिया तमाम दरवाजे बंद हो गए।। कोमल जेठी लेखिका ©komal jethi Pani ek paap hai