(In Caption) ये किसकी परछाई है गहरी तारीकीयों सी सिमटती हर आहट पर, कुछ खौफ़ज़दा है शायद हुक्मरानों से, हर वतनपरस्त की तरह शायद उसे भी हर आहट तशवीशनाक लगती हैं।