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काँच सा दिल प्रेम कविता या विरह कविता ना प्रेम कर

काँच सा दिल प्रेम कविता या विरह कविता

ना प्रेम करना आता है, 
ना आकर्षण में पड़ना हैl

मुझे तो हर कीमत पर, 
तेरा दीदार करना हैl×2
ना प्रेम करना आता है, 
ना आकर्षण पड़ना हैl

मुझे तो हर सीमा पर, 
तेरा हक़दार बनना हैl×2
ना प्रेम करना आता है, 
ना आकर्षण में पड़ना हैl

मुझे हर सामर्थ्य पर, 
तेरा पावर हाउस बनना हैl×2
ना प्रेम करना आता है, 
ना आकर्षण में पड़ना हैl
___________________ #Dil *प्रेम कविता या विरह कविता*
ना प्रेम करना आता है, 
ना आकर्षण में पड़ना हैl

मुझे तो हर कीमत पर, 
तेरा दीदार करना हैl×2
ना प्रेम करना आता है, 
ना आकर्षण पड़ना हैl
काँच सा दिल प्रेम कविता या विरह कविता

ना प्रेम करना आता है, 
ना आकर्षण में पड़ना हैl

मुझे तो हर कीमत पर, 
तेरा दीदार करना हैl×2
ना प्रेम करना आता है, 
ना आकर्षण पड़ना हैl

मुझे तो हर सीमा पर, 
तेरा हक़दार बनना हैl×2
ना प्रेम करना आता है, 
ना आकर्षण में पड़ना हैl

मुझे हर सामर्थ्य पर, 
तेरा पावर हाउस बनना हैl×2
ना प्रेम करना आता है, 
ना आकर्षण में पड़ना हैl
___________________ #Dil *प्रेम कविता या विरह कविता*
ना प्रेम करना आता है, 
ना आकर्षण में पड़ना हैl

मुझे तो हर कीमत पर, 
तेरा दीदार करना हैl×2
ना प्रेम करना आता है, 
ना आकर्षण पड़ना हैl

#Dil *प्रेम कविता या विरह कविता* ना प्रेम करना आता है, ना आकर्षण में पड़ना हैl मुझे तो हर कीमत पर, तेरा दीदार करना हैl×2 ना प्रेम करना आता है, ना आकर्षण पड़ना हैl