ऐसी हवा चले ओ रब्बा सोणा रहे ना इस जहान उत्ते कोई आज मरे कोई कल मरे मेला लगा रहे कब्रिस्तान उत्ते उत्तों एतवार दा दिन होवे कफन मिले ना किसे दुकान उत्ते जेड़ा जान नाल करे तोखा उदा कुछ ना रहे इस जहान उत्ते यारियां