हमने लोगों को बदलते देखा है अनपढों को भी गिनते देखा है बाबा लोग जो आजकल नेता है उन्ही को जनमत मिलते देखा है क्या दर्द लिये फिरते द्वेष की हमने अपनो को हमसे जलते देखा है अरमानों को पूरा करने का वादा था उन्हें ही सपनों को कुचलते देखा है कमजोरी का लाभ उठा लो तख्त वालों ऊंची मीनारों से भी लोगों को गिरते देखा है दवा काम कर जाती कभी दुआओं की मैंने लंगड़ों को भी एवरेस्ट चढ़ते देखा है ये असफलता की रात है "हरीश" ऐसे ही रातों में सितारे बनते देखा है ,,,,,,,,,,हरीश पटेल "हर" ग्राम - तोरन(थान खम्हरिया) बेमेतरा #देखा है