मैं टूटते हुए सपनों से एक ज़िद कर बैठा अपनों से वफा कि मैं उम्मीद कर बैठा जिंदगी का हर सफर जिसमें था अकेला उसमें में किसी के साथ की उम्मीद कर बैठा यहां जिनके हाथ थे सने मेरे खून ही से उनसे खुद को बचाने की उम्मीद कर बैठा अपनों से वफा की उम्मीद कर बैठा