ना जाने कहा गुम होता जा रहा हुँ दुनिया के इस भीड़ मै समाता जा रहा हुँ निकले है घर से पैर मंजिल कि और जब से तब से मैं अपने ही घर को भुलाते जा रहा हुँ बचपन को अपने से दुर करता जा रहा हुँ अपनों से ज्यादा दूसरे की महफ़िल में नज़र आ रहा हूँ बड़े बुजुर्ग की बातों को हँसी में उड़ा रहा हूँ खुद की जिंदगी को जीने का पता नही कौन सा तरीका अपना रहा हूँ खुद की सभ्यता से दूर होता जा रहा हूँ जब से निकले है पैर मंजिल कि और तब से अपने ही घर को भुलाते जा रहा हूँ Chitz Rk. #NojotoQuote #nojotohindi