ज़िन्दगी का फलसफा धीरे धीरे ही सही सीख जाऊंगा सैलाब है निकला अश्कों का, अंदर ही सही भीग जाऊंगा बहुत कर ली इल्तेज़ा तेरे दिल के शहर में आने की वापस अब जीना तुम बिन धीरे धीरे ही सही सीख जाऊंगा हार बैठा तुम्हे, दिल की बिसात लगी थी दिलों को जीतने का फ़न धीरे धीरे ही सही सीख जाऊंगा ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा #whenIpendown