आज जो शब्दों का पिटारा खोल चुका हूं दिल को ततोल कर बातें मैं याद कर चला हूं बातें कुछ सची बातें कुछ झूती अनकही , अनसुनी बातें खुशियों की और कुछ बातें अपनी कमियों की इन बातो मै शायद गुजर जाएगा यह समय शायद इन्हीं बातों में गुम हो चुकी मेरी खुशियों को मिल जाएगा थोड़ी देर के मेरे दिल में आश्रय आप सोचते होंगे कि शायद यह कवि बोखला चुका है अब आप क्या जाने इस दिल मै रात तो सदियों से ढल चुका है फिर्भी इस दिल को बेवकूफ बनाने की कोशिश करता हूं कवि हूं इसीलिए बातों से अपना दिल बहलाने की कोशिश किए चलता हूं मेरी बातों कों सुन कर बुरा मत मान जाना मैं तो युन्हिं हस्टे हुए दिल में रोता रहूंगा अब अगर यह दिल ना रोएगा तोह मै युह महफ़िल में समा कैसे बांधा करूंगा आओ , थोड़ा ध्यान से सुन जाओ बातें दिलो की , बातें ज़िन्दगी की कुछ पुरानी , कुछ नयी यह बातें है थोड़ी कड़वी थोड़ी मीठी यह बातें है थोड़ी अजीब और यह बातें मजेदार भी