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रेत सा तपता है जीवन दीखती न छाँव कोई, उलझनों का

रेत सा तपता है जीवन दीखती न छाँव कोई, 
 उलझनों का वन सघन है दूर तक न गाँव कोई।
हर कदम पर इस तरह से चुभती है ये जिंदगी-
नागफनियों का बगीचा और नंगे पाँव कोई। #dastooreishq
रेत सा तपता है जीवन दीखती न छाँव कोई, 
 उलझनों का वन सघन है दूर तक न गाँव कोई।
हर कदम पर इस तरह से चुभती है ये जिंदगी-
नागफनियों का बगीचा और नंगे पाँव कोई। #dastooreishq
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