पुष्प मेरे पुष्प को तोड़ कर तूने मुझे खरोच दिया मेरे खूबसूरती को तोड़ कर यू ही फेक दिया भौंरे जो चक्कर लगाते थे मेरे उसने भी चक्कर लगाना छोड़ दिया नाज थी मेरी खूबसूरती पे जो तूने यूं ही तोड़ दिया मेरी उस खुशबू की वजह से लोग थे यहां बैठते उन्होंने भी बैठना छोड़ दिया तूने तो मेरी खूबसूरती को यूं ही तोड़ कर फेक दिया मेरी उस खूबसूरती पे आते थे बच्चे उन्होंने भी आना छोड़ दिया मेरे पुष्प को तोड़ कर तूने मुझे निचोड़ दिया ©Abu Sufiyan Qaisar कविता