साज सहर के सरगम कोयल, कुहु कुहु कूक पौड़ी पौड़ी चढ़ता सूरज खोल के फिर संदूक किरण किरण है कनक कनक, चट चमकीली धूप सोना चाँदी सजा धजा है आज सुबह का रूप नीला अंबर चटक चटीला, अविरल और अनूप अंत अनंत से आगे फैला, सृष्टी सृजन स्वरूप पौड़ी पौड़ी चढ़ता सूरज खोल के फिर संदूक साज सहर के सरगम कोयल, कुहु कुहु कूक वो किरणों से लिखी इबारत 25 साज सहर के सरगम कोयल #hindinama #tassavuf #skand #kavishala #kiranTh #वो_किरणों_से_लिखी_इबारत #wo_kirano_se_likhi_ibarat #wokirnoselikhiibarat