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मुठ्ठी भर जमीं नहीं मुकम्मल आसमां दो मुझे, अपनी म

मुठ्ठी भर जमीं नहीं 
मुकम्मल आसमां दो मुझे,
अपनी मोहब्बत नहीं
किसी की बेवफ़ाई रचनी है। #बस_यूं_ही
मुठ्ठी भर जमीं नहीं 
मुकम्मल आसमां दो मुझे,
अपनी मोहब्बत नहीं
किसी की बेवफ़ाई रचनी है। #बस_यूं_ही