कमरे के कोने में एक अल्मिराह अल्मिराह में धूल से नहाती हुई वो किताब जिसमें कैद है कई किस्से कुछ मिलने के कुछ बिछड़ने के कुछ हसने के कुछ रोने के कुछ सपने जो अधुरे रह गए कुछ पल जिनमें सिमट गई ज़िंदगी इन्तज़ार है उसे उस अफताब का जब कोई उसकी धूल हटायेगा जब कोई उसके पन्ने पलटेगा जब कोई उसमें खोकर खुद को भूल जाएगा जब कोई उन कहानियों में खुद को पाएगा जब कोई उन दबे हुए एहसासों को फिरसे महसूस कर पाएगा जब ये दौड़ती हुई ज़िंदगी कुछ पलों के लिए थम जाएगी जब कोई अपनी रूह को गले लगाएगा वो पल कितना हसीन होगा जब कोई फिरसे ज़िन्दा हो जाएगा परवीन कुमार #splash2020 #nojoto #poetry #writer