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कमरे के कोने में एक अल्मिराह अल्मिराह में धूल से

कमरे के कोने में एक अल्मिराह 
अल्मिराह में धूल से नहाती हुई वो किताब 
जिसमें कैद है कई किस्से
कुछ मिलने के कुछ बिछड़ने के 
कुछ हसने के कुछ रोने के
कुछ सपने जो अधुरे रह गए 
कुछ पल जिनमें सिमट गई ज़िंदगी

इन्तज़ार है उसे उस अफताब का
जब कोई उसकी धूल हटायेगा 
जब कोई उसके पन्ने पलटेगा
जब कोई उसमें खोकर खुद को भूल जाएगा

जब कोई उन कहानियों में खुद को पाएगा
जब कोई उन दबे हुए एहसासों को 
फिरसे महसूस कर पाएगा
जब ये दौड़ती हुई ज़िंदगी 
कुछ पलों के लिए थम जाएगी 
जब कोई अपनी रूह को गले लगाएगा
वो पल कितना हसीन होगा 
जब कोई फिरसे ज़िन्दा हो जाएगा
परवीन कुमार #splash2020 #nojoto #poetry #writer
कमरे के कोने में एक अल्मिराह 
अल्मिराह में धूल से नहाती हुई वो किताब 
जिसमें कैद है कई किस्से
कुछ मिलने के कुछ बिछड़ने के 
कुछ हसने के कुछ रोने के
कुछ सपने जो अधुरे रह गए 
कुछ पल जिनमें सिमट गई ज़िंदगी

इन्तज़ार है उसे उस अफताब का
जब कोई उसकी धूल हटायेगा 
जब कोई उसके पन्ने पलटेगा
जब कोई उसमें खोकर खुद को भूल जाएगा

जब कोई उन कहानियों में खुद को पाएगा
जब कोई उन दबे हुए एहसासों को 
फिरसे महसूस कर पाएगा
जब ये दौड़ती हुई ज़िंदगी 
कुछ पलों के लिए थम जाएगी 
जब कोई अपनी रूह को गले लगाएगा
वो पल कितना हसीन होगा 
जब कोई फिरसे ज़िन्दा हो जाएगा
परवीन कुमार #splash2020 #nojoto #poetry #writer