पतंग के उर जाने के पीछे हवा का जोर था| महफ़िल में तो बस काबिल्यते पतंग का शोर था || Patang Ke Ur Jane Ke Piche Hawa Ka Jor Tha Mahfil Me To Bus Kabiliyate Patang Ka Shor Tha Adnan Rabbani's Shayari • पतंग के उर जाने के पीछे हवा का जोर था| महफ़िल में तो बस काबिल्यते पतंग का शोर था || #Adnan #Rabbani #love #advice #thought