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कही दूर किसी पहाड़ी पर कोई शहर बैठा एक खामोश सा उसक

कही दूर किसी पहाड़ी पर
कोई शहर बैठा एक खामोश सा
उसके अपने उसे तबाह कर चुके है
कई आये थे अपने सपनो के साथ
तब इसी शहर ने थामा था हाथ
भूल बैठे है आज उसी पनाह को 
फ़रियाद फिर भी है उसकी रब से
मेरे बच्चे है ,माफ करना इनके गुनाह को
रखना रहम तू इन पर हरदम
सलामत रखना,तू अपनी पनाह को
kunwarsurendra














।।। कही दूर किसी पहाड़ी पर
कोई शहर बैठा एक खामोश सा
उसके अपने उसे तबाह कर चुके है
कई आये थे अपने सपनो के साथ
तब इसी शहर ने थामा था हाथ
भूल बैठे है आज उसी पनाह को 
फ़रियाद फिर भी है उसकी रब से
मेरे बच्चे है माफ करना इनके गुनाह को
कही दूर किसी पहाड़ी पर
कोई शहर बैठा एक खामोश सा
उसके अपने उसे तबाह कर चुके है
कई आये थे अपने सपनो के साथ
तब इसी शहर ने थामा था हाथ
भूल बैठे है आज उसी पनाह को 
फ़रियाद फिर भी है उसकी रब से
मेरे बच्चे है ,माफ करना इनके गुनाह को
रखना रहम तू इन पर हरदम
सलामत रखना,तू अपनी पनाह को
kunwarsurendra














।।। कही दूर किसी पहाड़ी पर
कोई शहर बैठा एक खामोश सा
उसके अपने उसे तबाह कर चुके है
कई आये थे अपने सपनो के साथ
तब इसी शहर ने थामा था हाथ
भूल बैठे है आज उसी पनाह को 
फ़रियाद फिर भी है उसकी रब से
मेरे बच्चे है माफ करना इनके गुनाह को

कही दूर किसी पहाड़ी पर कोई शहर बैठा एक खामोश सा उसके अपने उसे तबाह कर चुके है कई आये थे अपने सपनो के साथ तब इसी शहर ने थामा था हाथ भूल बैठे है आज उसी पनाह को फ़रियाद फिर भी है उसकी रब से मेरे बच्चे है माफ करना इनके गुनाह को #Poetry #Life #shayri #Motivational #nojotohindi #prayer #kunwarsurendra