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खिड़की बंद पड़ी है कब से, तोड़ो अब दरवाजों को..

खिड़की बंद पड़ी है कब से, 
तोड़ो अब  दरवाजों को.. 

एकांत में बैठे महलों में जो, 
बतला दो सरताजों को..

चीखें नहीं पहुंचती उन तक, 
आने दो आवाजों को..

जाति धर्म और लिंग से, 
बांट लिया बहुत समाजों को..
 
आओ सब मिल एक करें अब
 पूजा और नमाजों को...
                             ©drVats Peace..
#peace #drvats #unity #hindumuslim #india
खिड़की बंद पड़ी है कब से, 
तोड़ो अब  दरवाजों को.. 

एकांत में बैठे महलों में जो, 
बतला दो सरताजों को..

चीखें नहीं पहुंचती उन तक, 
आने दो आवाजों को..

जाति धर्म और लिंग से, 
बांट लिया बहुत समाजों को..
 
आओ सब मिल एक करें अब
 पूजा और नमाजों को...
                             ©drVats Peace..
#peace #drvats #unity #hindumuslim #india