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कुछ यूँ भी मैं "माँ" को करीब पाता हूँ , कभी कभी ए

कुछ यूँ भी मैं "माँ" को करीब पाता हूँ ,
कभी कभी 
एक बिंदी को आईने से मिलाता हूँ ।
कुछ यूँ भी मैं "माँ" को करीब पाता हूँ ,
कभी कभी 
एक बिंदी को आईने से मिलाता हूँ ।