ना-उम्मीदी में उम्मीद है दीया सियाह रातों को तेरी दीद है दीया है जबसे देखा तेरे चेहरे का नूर जमाल-ए-यार तेरी मुरीद है दीया कि दूर तुम भी हो महफ़ूज़ कहीं इस बात की ही क़ासिद है दीया हिज़्र का है हमको मलाल मग़र तुमसे मिलन की इक ज़िद है दीया नफ़रत भूलाकर चलो प्यार बाँटे मेरी दीवाली , तेरी ईद है दीया ©Prakash Kumar सियाह = काली दीद = दर्शन नूर = रोशनी , आभा जमाल-ए-यार = खूबसूरत यार क़ासिद = संदेशवाहक . . #Diwali #pk4ever4u #happydiwali #Deepawali