हौसले गर हो समर को जीत सकते हो,तूफान में भी तुम लकीरें खींच सकते हो। सूर्य की गति सा भुवन में घूम सकते हो,नक्षत्र-ग्रह के ताप को तुम झेल सकते हो। चलो अब चूकना छोड़ो,समर से पूछना छोड़ो,विजय स्वर्णिम कहानी से जगत को जीतना सीखों। जगत में व्याप्त अत्याचार का अवसान तुम कर दो,जगत में शांति और सद्भावना संचार तुम कर दो। युवा हो!युग युवा बनकर जगत में नाम अब कर दो,चलो इतिहास बनकर तुम अब इतिहास को लिख दो। धरा के धड़कनों में एक नया आयाम तुम भर दो,चलो अब कुछ कर गुजर जाओ जगत में नाम तुम कर दो। हे युवा!विजय स्वर्णिम कहानी से जगत को जीतना सीखों।