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वही पिछली रात गुजरी होगी शायद मेरी गली से खनखती पा

वही पिछली रात गुजरी होगी शायद मेरी गली से
खनखती पायल तो वही थी
मैं नींद में था , फिर क्या खबर 

घर के पुष्प सारे खिल उठे थे सवेरे
सुगन्ध भी बिखेर रहे थे गुलिस्तां की तरह
महक तो वही थी, फिर क्या खबर
वही पिछली रात गुजरी होगी शायद मेरी गली से
खनखती पायल तो वही थी
मैं नींद में था , फिर क्या खबर 

घर के पुष्प सारे खिल उठे थे सवेरे
सुगन्ध भी बिखेर रहे थे गुलिस्तां की तरह
महक तो वही थी, फिर क्या खबर