मुझे यकीं था कुछ ऐसा हर बार करेगा..! इन शोखियों से क़त्ल बार-बार करेगा..!! उम्मीद-ए-फ़र्दा थी इब्तिदा-ए-इश्क़ में..! मेरी छोटी-छोटी हरकतों पर रार करेगा..!! मुझे बद्दुआ भी लगी तो इश्क़ की लगी..! अब क्या कोई सीने खंज़र पार करेगा..!! उसका हर निशाना इतने करीब गुज़रता..! मिरे रफू जख्मों को तार - तार करेगा..!! मिरा पत्थर-ए-दिल साफ़ नज़ऱ आता है..! यक़ीनन तीर-ए-नाज़ आर-पार करेगा..!! मुझे खुद से अज़ीज़ बीमार-ए-इश्क़ है..! अब तो खुदा ही मेरी नईया पार करेगा..!! उस रहनुमाई से क्या शिकायत करूं..! दिल-ए-उम्मीद न थी ऐसा वार करेगा..!! उसकी रुखसती में चार कंधे है "राज"..! तिरी आंखों में बारिश ज़ार-ज़ार करेगा..!! ©Darshan Raj #a उम्मीद-ए-फ़र्दा = आने वाले कल की आस तीर-ए-नाज़ =पलकों का तीर इब्तिदा-ए-इश्क़=पहला प्यार #5LinePoetry #Nojoto #rekhta #gazal #ग़ज़ल #gajal #नज़्म #darshan #urdu