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White ग़ज़ल मेरे घर में कहाँ ज़िंदगी आज भी बस व

White ग़ज़ल 

मेरे घर में कहाँ ज़िंदगी आज भी 
बस वही मुफ़्लिसी बेबसी आज भी 

आपसी रंजिशें हैं वही आज भी 
भाई भाई में है दुश्मनी आज भी 

ऐक मुद्दत से तो दूर है वो मगर 
याद आते हैं शिद्दत से ही आज भी 

कितना मासूम अंजान है बेगुनाह 
फिर भी उस पर है तानाकशी आज भी 

मैं वफ़ा ही करूँ इश्क की शर्त है 
क्यों मैं सोचूँ है बेरूखी आज भी 

हम तो बेज़ार हैं कैसे आगे बढ़ें 
अपनी हालात है मजबूर सी आज भी 

वो जफ़ा पर जफ़ा कर रहे हैं मगर 
बेवफाई न हमसे हुई आज भी 

मुझको गौहर किसी से भी शिकवा नहीं 
ज़िंदगी कट रही वैसी ही आज भी 

चौधरी हरदीन कूकना 
मकराना, राजस्थान

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #गजल  शेरो शायरी
White ग़ज़ल 

मेरे घर में कहाँ ज़िंदगी आज भी 
बस वही मुफ़्लिसी बेबसी आज भी 

आपसी रंजिशें हैं वही आज भी 
भाई भाई में है दुश्मनी आज भी 

ऐक मुद्दत से तो दूर है वो मगर 
याद आते हैं शिद्दत से ही आज भी 

कितना मासूम अंजान है बेगुनाह 
फिर भी उस पर है तानाकशी आज भी 

मैं वफ़ा ही करूँ इश्क की शर्त है 
क्यों मैं सोचूँ है बेरूखी आज भी 

हम तो बेज़ार हैं कैसे आगे बढ़ें 
अपनी हालात है मजबूर सी आज भी 

वो जफ़ा पर जफ़ा कर रहे हैं मगर 
बेवफाई न हमसे हुई आज भी 

मुझको गौहर किसी से भी शिकवा नहीं 
ज़िंदगी कट रही वैसी ही आज भी 

चौधरी हरदीन कूकना 
मकराना, राजस्थान

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #गजल  शेरो शायरी