कच्चे घड़े से ख़्वाब सजाये नहीं गए, इसबार उनसे रिश्ते निभाए नहीं गए।। हर बार बुलाते थे उन्हें जश्न मनाने, इसबार मेरे दर पे बुलाये नहीं गए।। वादे वो करते थे बेबुनियाद हमेशा, इसबार सब्ज़बाग दिखाएं नही गए।। कच्चे घड़े से ख़्वाब