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ग़ज़ल-दिल में अरमानों को छिपाए हम भी रोए, तुम भी र

ग़ज़ल-दिल में अरमानों को छिपाए हम भी रोए, तुम भी रोए । धड़कन -धड़कन से घबराए हम भी रोए, तुम भी रोए।। a ghazal by Dr. Shakuntala sarupria from Udaipur- Rajasthan### at NOJOTO##

ग़ज़ल-दिल में अरमानों को छिपाए हम भी रोए, तुम भी रोए । धड़कन -धड़कन से घबराए हम भी रोए, तुम भी रोए।। a ghazal by Dr. Shakuntala sarupria from Udaipur- Rajasthan### at NOJOTO## #शायरी

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