ये औरत तुझे क्या कहुँ, तेरी हर बात निराली है तू एक ऐसा पौधा है जिस घर रहे वह हरियाली ही हरियाली है तेरी शान में सिर्फ इतना कह सकते है की तेरी उचाईयो के सामने आसमान भी नहीं रह सकता है मेरी सिर्फ इतना सा एक पैगाम है ऐ औरत तुझे मेरा सिर झुका कर सलाम है