किस रास्ते है जाना, खुद का फैसला खुद ढूंढ रास्ता तेरा धुंधली सी है राहे मिट्टी की जमीन है पहुंचेगा कहीं तो कर फैसला ना दूसरों के हिसाब से भटक गया तो इल्जाम उन पर डालेगा तेरी जिंदगी है फैसला भी तेरा ही हो मंजिल की तलाश में दर-दर भटक तुझे औरों का रास्ता काटना ना पड़े किस राह जाना है खुद को काबिल बना इतना किसी और पर निर्भर न रहना पड़े मुसाफिर कई मिलेंगे पल भर के राहगीर होंगे चलना तो अकेले हैं खुद की पहचान बनानी है अगर तो सहारा तो खुद का बन धूप भी होगी कहीं छांव भी होगी वक्त का तकाजा साथ लिए चलना है लाठी को साथ लिए कितने दिन जाना है बीना लाठी कैसे चलना है अब फैसला तेरा हो किस रास्ते हैं जाना #राह तेरी